Boycott China: क्या भारत चीनी सामान का बहिष्कार कर सकता है?

 Boycott China Products in India: भारत और चीन के बीच पिछले कई दशकों से गहमा-गहमी की अवस्था बनी हुई है। लेकिन पिछले 1 दशक के अंदर-अंदर यह स्थिति और अधिक विकराल होती जा रही है। जिसमें चीन की ओर से देश की सीमा पर सेना की घूसपैठ व अतिक्रमण जैसी घटनाओं से दोनों देशों के बीच के संबंध में काफी दरार पैदा हो चुकी है। जो समय के साथ-साथ अगर कुछ कम भले ही हो जाए, लेकिन चीन द्वारा पुन: उन्हीं घटनाओं के दोहराव से हालात विपरीत हो जाते हैं और जब-जब दोनों देशों के बीच उपरोक्त घटनाओं से तनाव बढ़ता है, तो देश के अंदर कई संगठनों व एक बड़ी आबादी द्वारा चीन के उत्पादों का बहिष्कार करने की मांग एकाएक उठनी लगती है। लेकिन चीन के उत्पादों के बहिष्कार की बात करना व उनकों मानना व लागू करना और बात है। ऐसा कहने के पीछे कई कारण है। जिस वजह से भारत सरकार अपने आवाम की मांग या आवाज सुनने के बाद भी उसे स्वीकार नहीं कर सकता.



boycott china products in india
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भारत को चीनी उत्पादों की वाकई में जरूरत है


ऐसे कई वजह है, जिसकी वजह से भारत चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को तबाह या खत्म नहीं कर सकता। भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है, जिसकी वजह से उसे ना चाहते हुए भी चीन से सामान आयात करना जरूरी हो जाता है। जिसमें भारत अपनी जरूरत को देखते हुए चीन को निर्यात से 7 गुणा अधिक उससे आयात करता है। जिससे साफतौर पर यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है, कि भारत को चीनी उत्पादों की वाकई में जरूरत है। 


भारत चीन से क्या आयात करता है


वहीं अगर हम चीन से उन महत्वपूर्ण चीज की सूची बनाए, जो उनसे भारत आयात करता है। उसमें इलेक्ट्रॉनिक्स का 32.2 प्रतिशत, परमाणु भट्टी, बॉयलर और पुर्जों का 17.01 प्रतिशत, कार्बनिक रसायन का 9.83 प्रतिशत और उर्वरक का 5.3 प्रतिशत भारत चीन से आयात करता है। इन उत्पादों के साथ-साथ भारत चीन से मोबाईल भी काफी संख्या में आयात करता है। तो जब भारत इतनी तादात में उत्पादों का आयात चीन से करने पर विवश है, तो इससे साफ हो जाता है  की भारत कैसे चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों या साझेदारी को खत्म कर दे।

आत्मनिर्भर भारत से ही होगा Boycott China


इन तमाम बिंदुओं को विचार करते हुए, यहीं कहा जा सकता है, कि पहले भारत अपने देश की वर्तमान व बढ़ती आबादी को देखते हुए, उपरोक्त सामान या उत्पाद पर स्वयं आत्मनिर्भर बने। उसके बाद वह चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों पर लगाम लगाने की सोचे, नहीं तो उसे मुंह की खानी पड़ सकती है। 


(संजय बर्बन)


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