बाहरी दिल्ली, नरेन्द्र : राजधानी दिल्ली में इस प्रचंड सर्दी से बचने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं । वहीं दूसरी ओर बाहरी दिल्ली के अकबर पुर माजरा मोड़ पर स्थित मन्दिर में ऐसी ठरधरा देने वाली शर्दी में नाथ पंथ के बाबा श्री श्री तप योगी अनिल नाथ ठंडी जल धारा में कठोर तपस्या कर रहे है, बाबा का लक्ष्य है मानवता के ऊपर आये संकटों का निवारण करना और कोविड-19 जैसी महामारियों से भारत को बचाना।
गर्मियों में भी करते है तपस्या
नाथ पंथ के बाबा श्री श्री तप योगी अनिल नाथ इस तरह की कठोर तपस्या सर्दी ही नहीं बल्कि तपती गर्मी में भी अग्नि की चारों तरफ बैठकर कई घंटे करते हैं और सर्दी में जलधारा के नीचे बैठकर हाल ही में तपस्या कर रहे हैं लेकिन इससे पहले 81 दिनों की यमुना नदी में खड़े होकर साधना भी की थी पूरे वर्ष लगातार इस तरह की कठोर तपस्या यह तपस्वी बाबा करते रहते हैं।
बाबा का कहना कि मानवता का कल्याण करना और जो महामारी से विश्व जूझ रहा है उस महामारी से लोगों को निजात मिले वहीं जिन लोगों की कोरोना के चलते मृत्यु हुई है उन लोगों की आत्मा को शांति मिले इनकी इस कठोर तपस्या में ग्रामीणों का भी योगदान मिल रहा है यह कठिन तपस्या इनकी 41 दिन की है .
स्थानीय निवासी;-स्थानीय ग्रामीणों और सेवादारों की माने तो उनका कहना है जब से यह तपस्वी बाबा कई वर्षों से अलग-अलग तरह के की साधना कर रहे हैं । तब से इलाके में सुख शांति है और कोविड-19 का प्रकोप पूरी दिल्ली में रहा लेकिन यहाँ आसपास के इलाकों में दूसरे इलाको के मुकाबले में मृत्यु कोविड-19 के चलते ना के बराबर हुई। वही बाबा की साधना से भारतीय संस्कृति में जो प्राचीन काल से चलती आ रही है वह आज भी जीवित है और युवाओं को कहीं ना कहीं बाबा को देखकर अपने हिन्दू धर्म के प्रति जागरूकता भी मिलती है।
स्थानीय निवासी :- फिलहाल प्राचीन काल में भी जब कोई बड़ी विपदा या संकट लोगों पर आता था तो महाऋषि , मुनि , महंत व साधु संत बड़े-बड़े यज्ञ व हवन किया करते थे और समस्या का समाधान करते थे. आज डिजिटल जमाना है लोग प्राचीन प्रथा व प्राचीन तथ्य पर ध्यान नही दे रहे। लेकिन जिन लोगों की आस्था ईश्वर से जुड़ी है उनके लिए इस तरह की कठोर तपस्या करने वाले तपस्वी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति माने जाते हैं । क्योंकि धरती पर आसत्य है तो सत्य भी है। शैतान है तो भगवान भी है।
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