नई दिल्ली : जब फ़ातिमा सना शेख़ और विजय वर्मा फ़िल्म डिविज़न ऑडिटोरियम के स्टेज पर आए, तो लगा जैसे पुरानी दिल्ली की कोई कोठी अचानक ज़िन्दा हो गई हो। मनीष मल्होत्रा की पहली फ़िल्म बतौर प्रोड्यूसर — गुस्ताख़ इश्क़ – कुछ पहले जैसा — का ट्रेलर आज दिल्ली में लॉन्च हुआ और पूरा हॉल शायरी की उस लाइन पर पागल हो गया:
> “मेरा लहज़ा कैक्टस सा ख़ुरदुरा, तेरी बातें रातरानी की तरह…
> ग़म कोई देना है तो दे दे मुझे, दिल में रख लूंगा निशानी की तरह।”
एक पल को लगा कि हम 90 के दशक की किसी गुलज़ार साहब की फ़िल्म में बैठे हैं, जहाँ मोहब्बत को बोलने में टाइम लगता है, जहाँ ख़ामोशी भी गीत बन जाती है।
ये फ़िल्म क्यों है सबसे अलग?
आज की ज़्यादातर लव-स्टोरीज़ 15 सेकंड की रील्स में ख़त्म हो जाती हैं।
पर गुस्ताख़ इश्क़ ने ठान लिया है कि वो हमें रुककर, साँस लेकर, महसूस करके प्यार करना सिखाएगी।
पुरानी दिल्ली की तंग गलियाँ, पंजाब की ढलती हवेलियाँ, चाँदनी रात में सूफ़ियाना क़व्वाली और विशाल भारद्वाज का ऐसा संगीत जो सीधे रूह में उतर जाए — ये सब एक साथ आ रहे हैं 28 नवंबर को।
हाइलाइट्स जो दिल छू गए:
- गुलज़ार साहब की कलम फिर चली है — हर डायलॉग शायरी है
- विशाल भारद्वाज का म्यूज़िक — सुनकर लगता है, कहीं दिल के अंदर कोई सितार बज रहा हो
- नसीरुद्दीन शाह + विजय वर्मा + फ़ातिमा सना शेख़ + शरीब हाशमी — ऐसा कास्टिंग कूप पहली बार
- मनीष मल्होत्रा का डेब्यू प्रोडक्शन — और वो भी इतनी सादगी और सुंदरता के साथ
- विभु पुरी की डायरेक्शन — जैसे कोई कविता को कैमरे में कै़द कर रहा हो
फ़ातिमा ने कहा, “ये फ़िल्म मोहब्बत को उसकी जड़ों तक ले जाती है। आज का प्यार भी उतना ही गहरा है, बस हम उसे बोलना भूल गए हैं।”
विजय वर्मा ने मज़ाक में कहा, “मैं तो शूटिंग के दौरान ही शायरी लिखने लगा था, घरवालों को लगने लगा कि मैं पागल हो गया हूँ!”


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