सुविधाओं के अभाव में फिसड्डी साबित हो रहा है नरेला सामुदायिक भवन


बाहरी दिल्ली : सर्दियों में शादियों के सीजन की वजह से अभी हर जगह धूमधाम से विवाह समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे समय में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के काफी इलाकों में बहुउद्देशीय सामुदायिक भवन, विवाह समारोह व रिशेपशन आयोजित किए जाने के लिए काफी संख्या में बुकिंग की जा रही है। लेकिन कई इलाकों में बने सामुदायिक भवन ऐसे भी हैं, जो सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग  द्वारा उचित देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुके हैं। जिनमें विवाह आदि समारोह आयोजित नहीं किए जा सकते। 

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तो कई भवन ऐसे हैं, जो जर्जर तो नहीं हैं, लेकिन वहां कई तरह की सुविधाओं का अभाव रहता है। ऐसे में लोगों को बुकिंग करवाने के बाद समारोह के दौरान काफी दिक्कतें आती हैं। उत्तरी बाहरी दिल्ली की बात की जाए तो यहां पर नरेला विधानसभा क्षेत्र के बांकनेर गांव स्थित सामुदायिक भवन भी इसी असुविधा का शिकार है। जिसके कारण लोगों को किसी भी समारोह में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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मुश्किलों से बना यह सामुदायिक भवन 

काफी समय से गांव में एक सामुदायिक भवन की दरकार होने के कारण ग्रामीणों ने प्रशासन व संबंधित विभाग से यहां पर सामुदायिक भवन बनाने की मांग की थी। जिसके बाद जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही दिया गया। गांव सहित नरेला के कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा सरकार को काफी पत्राचार किए जाने के पश्चात, सरकार का ध्यान इस ओर गया और फिर जाकर यहां पर तीन साल पहले सामुदायिक भवन तैयार किया गया। जिसकी वजह से बांकनेर व स्वतंत्र नगर के लोग यहां पर निजी पार्क के मुकाबले काफी न्यूनतम खर्चे पर विवाह, जन्मदिन पार्टी, रिशेपशन आदि समारोह आयोजित करवा पा रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र के लोगों का यह दुर्भाग्य ही कहिए की यहां पर तीन साल के अंदर ही इस भवन में मिलने वाली सुविधाएं ओझल हो गई हैं।

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बिजली व्यवस्था का अभाव 

सामुदायिक भवन में किसी भी प्रकार का समारोह आयोजित करने के लिए बिजली के कनैक्शन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन यहां पर बिजली की व्यवस्था के अभाव में समारोह आयोजित करवाने वाले लोगों को अपने खर्चे पर ही जनरेटर लगवाकर बिजली की व्यवस्था करवानी पड़ती है। जिससे समारोह में होने वाले खर्चे में उन्हें इस सुविधा के लिए अतिरिक्त खर्चा और झेलना पड़ता है।

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शौचालय की हालत है खस्ताहाल 

भवन निर्माण के कुछ समय पश्चात ही यहां पर शौचालय की अवस्था खस्ताहाल हो चुकी है। कहने को यहां पर शौचालय बना हुआ है, लेकिन उसमें टोटी से लेकर पाइप की क्नैक्शन तक नहीं है। जिसकी वजह से समारोह में आने वाले अधिकतर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर महिलाओं को इससे सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

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खिड़कियों के शीशे भी टूटे हुए हैं 

भवन की खिड़किय़ों के शिशे भी काफी समय से टूटे हुए हैं। जिन्हें लेकर  सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग विभाग कोई देखरेख नहीं करता। जिस वजह से बारिश के समय अंदर पानी जमा हो जाता है और सर्दी के समय सर्द हवाओं के कारण समारोह में लोगों को इससे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार बुकिंग के पैसे हमसे इसलिए ही लेती है कि जिससे वह इन भवनों की देखरेख कर सके। जिससे हमे समारोह आयोजित करवाते समय सभी सुविधाएं मिल सके। लेकिन सरकार को पैसे मिलने के बाद भी यहां पर किसी भी प्रकार की कोई सुविधा लोगों को मुहैया नहीं करवाई जा रही है।

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