न ई दिल्ली : दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन (दावा) ने मंगलवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास पर प्रदर्शन कर दिल्ली आशा वर्कर्स के लिए कोविड इंसेंटिव को बढ़ाने व कोर इंसेंटिव पॉइंट मुक्त करने की मांग की।
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आशा वर्कर्स का कहना है कि आशा वर्कर्स कोविड के विरुद्ध संघर्ष में फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में घोषित की गई हैं। उनसे कोविड का बहुत अधिक कार्य लिया जा रहा है। उन्हें रात दिन इसमें लगाया जा रहा है। इसके बदले मेंचंत सरकार द्वारा आशाओं को मात्र 1000/- मासिक दिए जा रहे थे। देश में एक मजदूर की सामान्य मजदूरी भी 500 रुपये दैनिक से ज्यादा है। मगर आशाओं से रात दिन काम कराकर मात्र 33 रुपये दैनिक देना गैर कानूनी, अनैतिक व अन्यायपूर्ण है। केंद्र सरकार की तरह ही दिल्ली सरकार भी आशाओं से नाइंसाफी कर रही है। दिल्ली सिविल डिफेंस वॉलिंटियर व अन्य को दिल्ली सरकार पूरी मजदूरी देती है। मगर आशा वर्कर्स को कुछ भी नहीं देती है। जबकि कई राज्य सरकारों ने कोविड के लिए आशा वर्कर्स को अतिरिक्त कुछ इंसेंटिव दिया है। इसलिए दिल्ली की आशा वर्कर्स की मांग है कि कोविड-19 के कार्य के लिए दिए जा रहे 1000 रुपये को काम की प्रकृति के अनुसार बढ़ा कर कम से कम 10,000/- प्रति माह करना चाहिए।दिल्ली की 6 हजार आशा वर्कर्स कल करेंगी हड़ताल
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अन्य कई राज्यों में आशा वर्कर्स को निश्चित मानदेय दिया जाता है परंतु दिल्ली देश की राजधानी होने के बावजूद यहां आशाओं को उनकी कोर एक्टिविटी के लिए पॉइंट के आधार पर इंसेंटिव दिया जा रहा है यह भी अन्याय ही है इसलिए हम मांग करते है कि दिल्ली की आशाओं को अन्य राज्यों की आशा वर्कर्स की तरह कोर एक्टिविटी के लिए कोर इंसेंटिव पॉइंट मुक्त कर 15000 रुपए निश्चित मानदेय देना तय करना चाहिए ।
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इनकी मांग है केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार से कोविड का इंसेंटिव बढ़ा कर 10000 रुपए मासिक व कोर इंसेंटिव पॉइंट मुक्त कर 15000 रुपए मासिक मानदेय निश्चित देना तय करने का आदेश जल्द से जल्द जारी किया जाए। महोदय, केंद्र व दिल्ली सरकार के समक्ष हमने आशाओं की समस्याओं के निवारण हेतु पत्र पहले से ही दिए हुए हैं जिनके ऊपर सरकार को गौर करना चाहिए फौरी तौर पर हमारी इन दोनों मांगों का तुरंत समाधान किया जाए। महोदय से हमारी यह भी अपील है कि हमें अपने व्यस्त समय में से कुछ समय मिलने के लिए देने का कष्ट करें ताकि इस विषय को आपके सामने और भी स्पष्ट किया जा सके।
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